हर दुशासन की तुमने होती बांह उखाड़ी ।'s image
Poetry1 min read

हर दुशासन की तुमने होती बांह उखाड़ी ।

Pratima PandeyPratima Pandey August 30, 2021
Share0 Bookmarks 62 Reads0 Likes


एक द्रौपदी की पुकार सुनकर तुमने उसकी लाज बचाई थी ,

अदृश्य रहकर भी कन्हैया तुमने अपनी महिमा दिखाई थी ।

देखो आज फिर सैकड़ों द्रौपदी चीख-चीख कर तुम्हें पुकार रही हैं ,

शायद कलयुग में इन सबकी आवाज़ें तुम तक नहीं पहुंच पा रही हैं ।

<

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts