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बेख़ुदी की ख़ुश्क राहों से मुझे,
क्या शिकायत कज-कुलाहों से मुझे।
ऐ मिरे क़ातिल बरा-ए-इश्क़ अब,
आ बचा ले ख़ैर-ख़्वाहों से मुझे।
क्या मिला उल्फ़त पे ख़ुद को ख़र्च कर,
क्या मिला वादा निबाहों से मुझे।
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