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हमीं से दूर जाना चाहती है।
तभी वो पास आना चाहता है।
नई दुनिया बनाई है वहाँ पर,
वही मुझको दिखाना चाहता है
मुझे मालूम है वो पास आकर,
हँसाकर फ़िर रुलाना चाहता है।
चुराता आज है नज़रों से नज़रें,
किसी सच को छुपाना चाहता है।
जफ़ा की सब हदों को तोड़कर भी,
वफ़ादारी निभाना चाहता है।
परिंदा रह नहीं सकता अकेले,
नया वो भी ठिकाना चाहता है।
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