Share0 Bookmarks 30966 Reads0 Likes
कितना अच्छा होता
तुम्हारे साथ चलना
अग़र मैं सीख लेता
झूठ, छल-कपट और बहाने
तो लोग बन जाते मेरे भी दीवाने।
हमें इस बात का दुःख नहीं है
कि तुम आगे निकल गई,
मैं पीछे छूट गया।
मनुष्य होने के नाते स्वाभाविक हमें ये दुःख है कि
मेरे अपने झूठ और छल-कपट
के कंधों पर चढ़कर
हमसे आगे नि
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments