नई दुनिया's image
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कितना अच्छा होता

तुम्हारे साथ चलना

अग़र मैं सीख लेता

झूठ, छल-कपट और बहाने

तो लोग बन जाते मेरे भी दीवाने।


हमें इस बात का दुःख नहीं है

कि तुम आगे निकल गई,

मैं पीछे छूट गया।

मनुष्य होने के नाते स्वाभाविक हमें ये दुःख है कि

मेरे अपने झूठ और छल-कपट

के कंधों पर चढ़कर

हमसे आगे निकल गए;

सिर्फ़ मैं ही नहीं।


शायद और भी कुछ लोग

मेरे जैसे पीछे छूट गए होंगे

जो नहीं सीख पाए होंगे

झूठ, छल-कपट और स्वार्थ के लिए

रिश्ते जोड़ना ।

उनसे मिलकर बनाऊँगा

एक पिछड़ी दुनिया;

छल-कपट, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर

के भेदभाव से रहित ।




©प्रशान्त अरहत

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