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★मैंने बुद्ध से सीखा है★
ये इंसान की फितरत है!
खोये रहना;
भविष्य की कल्पनाओं में,
या फिर यादों के इतिहास के
खंडहर की खुदाई करना,
परत दर परत।
शायद ये एक जरिया हो;
खुद को, खुश रखने का
या यथार्थ से मुंह मोड़ने का।
लेकिन मैंने बुद्ध से सीखा है,
वर्तमान में जीना।
तुम्हारे साथ!
सब खण्डहर हो जायेगा;
एक दिन।
मैं नहीं चाहता, तमको ढूँढना
यादों के खण्डहर में ।
तभी मैं वर्तमान को इतिहास
बनाना चाहता हूँ;
तुम्हारे साथ!
©प्रशान्त
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