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ये जो तुम कहती हो मेरे कौन हो तुम
सिर्फ दोस्त हो या कौन हो तुम ।।
अगर है प्यार तो इज़हार कभी करते नही हो
1 दिन भी बिना बात किये रहते नही हो,
खुद को बताते हो मुशाफिर
और फिर लौट के वापस यहीं पे ठहरते हो ।।
तो सुनो.....
हारी हुई बाज़ी को भी जीतने वाली इरादा हो तुम,
दोस्त तुम्हे कैसे कहे, दोस्त से भी ज्यादा हो तुम ।।
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