
एक अरसे बाद मैंने सितारों को देखा
हवाओं की गोद में चाँदनी की छांवमें,
पत्थरों को छोड़कर मिट्टी के गांव में;
चाँद को अंधेरे की खाई में भेज कर
आसमां से लटकते उन हारों को देखा।
एक अरसे बाद मैंने सितारों को देखा।
गुच्छों से उलझे कुछ लहरों से बिखरे,
कुछ धीमे चमकते कुछ हीरों से निखरे;
धागों की चादर के सुराखों से झांककर
आसमां के हर एक किनारों को देखा।
एक अरसे बाद मैंने सितारों को देखा।
कुछ दूर दूर फैले कुछ आपस मे लिपटे,
डालियों से फैले,कुछ झुरमुटों से सिमटे;
सोई हुई पलकों के दरारों से ताककर
टिमटिमाते हज़ारों नजारों को देखा ।
एक अरसे बाद मैंने सितारों को देखा।
यादों के मोहल्ले से ख्वाबों के रास्ते,
उस रात के हो चुके सबेरे के वास्ते;
चहकती चिड़ियों की बोली से जागकर
पूरब से निकलते हुए अंगारों को देखा।
एक अरसे बाद मैंने सितारों को देखा।
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