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उलझन
खुश हों तो कहते हैं थोड़ी शर्म करो
जहाँ में इतनी बदहवासी है
खुश ना हों तो कहते हैं कभी मुस्कुरा दो
जहाँ में पहले ही बदगुमानी है
किसी को पसंद करें तो कहते हैं
इतनी जल्दबाज़ी ना करो
कोई पसंद ना हो तो कहते हैं
कभी तो मिजाज़ ठीक करो
अभी खुद से ही मिल नहीं पाए हैं
कहते हैं की कभी बज़्म में चलो
बमुश्किल भीड़ में घुल ही पाए
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