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वो चेहरे की मुस्कान, प्यारी सी आवाज़, तुम्हारी ओर खींच लाया करती थी
कभी बयां नही कर सके क्यूँकी तुम्हे खोने से डरते थे।
याद है मुझे तुम्हारा वो घंटों इंतज़ार कराना, बेवजह सताना, हर बात पे बहाने बनाना।
खैर अब चली गई हो, भूल गया हूँ, वापस मत आना।।
दूर हो चुका था अपनो से, झूठ बोलना सीख गया था
परवाह किया करते थे जो, उन भाईयों को छोड़ दिया था।
खो गये थे तुम्हारे ख्वाबो में इतना कि अपने सपनो को भूल गया था
देखो एतराज़ तुमको था, वरना क्या कर लेता ये सारा ज़माना।
खैर अब चली गई हो, भूल गया
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