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विचार समय और स्थितिनुसार आते हैं,
कभी अतीत के साए से निकल छाते हैं।
अतीत अनुभव और तजुर्बों का ताना-बाना,
स्मृतिपटल पर अंकित रिश्ते और दोस्ताना।
हम अपनी मसरूफियों में इस तरह खोते गए,
पुराने रिश्तों के चेहरे जहन में धुंधले होते गए।
आज उन्हीं यादों की पिटारी खोली,
जो दिमाग के एक कोने में रखी थी भरी।
उसके ऊपर की धूल जब झाड़ी,
खट्टी मीठी यादों की सुगंध तर कर गई।
मीठी यादें मन को गुदगुदाती थीं,
खट्टी फिर से तन्हा कर जाती थीं।
इन्हें नया आयाम देना है, मिटाना नहीं बस नया नाम देना है।
यादों के झरोखे से दोस्तों को देखा था,
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