
विचार समय और स्थितिनुसार आते हैं,
कभी अतीत के साए से निकल छाते हैं।
अतीत अनुभव और तजुर्बों का ताना-बाना,
स्मृतिपटल पर अंकित रिश्ते और दोस्ताना।
हम अपनी मसरूफियों में इस तरह खोते गए,
पुराने रिश्तों के चेहरे जहन में धुंधले होते गए।
आज उन्हीं यादों की पिटारी खोली,
जो दिमाग के एक कोने में रखी थी भरी।
उसके ऊपर की धूल जब झाड़ी,
खट्टी मीठी यादों की सुगंध तर कर गई।
मीठी यादें मन को गुदगुदाती थीं,
खट्टी फिर से तन्हा कर जाती थीं।
इन्हें नया आयाम देना है, मिटाना नहीं बस नया नाम देना है।
यादों के झरोखे से दोस्तों को देखा था,
वह ऐसा था,अब ऐसा होगा सोचा था।
कच्ची उम्र का था कच्चा आंगन,
मंन की गाठों को खोल देना था नयापन।
पक्की उम्र में वह कच्चे आम हो चले रसीले,
कठिनाइयों की दहलीज पार कर और जोशीले ।
जिंदगी की कड़ी धूप ने परिपक्व बनाया,
खुली बांहों से सब को स्वीकारना सिखलाया।
आपबीती सुननी और कहनी हैं,
नई शरारतों की नई इबारतें लिखनीं है।
पुराने दोस्तों के साथ जिंदगी दोहरानी है ,
दोस्ती की नई तस्वीर बनानी है।
बीता जमाना दोस्तों के साथ था दिलचस्प,
नवीनता की कोपलों से हो रहा और रोचक।
दिल फिर एक बार बच्चा हो गया,
इस विचार से मन सच्चा हो गया।
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