Share0 Bookmarks 47191 Reads0 Likes
ख्वाहिशों का समुंदर नहीं ,बस एक छोटी सी ख्वाइश है,
कभी साथ मेरे बैठो, खुद को भुला दूं मैं ,उन फुर्सत के पलों में ,
मैं नहीं चाहती तुम अपना कीमती वक्त मेरे ऊपर व्यर्थ करो पर मेरे कुछ तन्हा पलों की खामोशी का संवाद बनो।
चाह नहीं कि तुम मेरी सुंदरता पर रिझो,
क्योंकि यह क्षणिक तो खो जाएगी,
पर मेरे अंतर्मन की गहराई में उतरो,
उसे उजियारे से भर दो।
ख्वाहिश है मुझे प्रेम वश आलिंगन में भरो ,
महसूस कर सकूं मैं प्रेम का मनुहार करती धड़कनों को ,
सुन सको तुम भी मेरे मन की आवाज को,
जो बहुत कुछ तुमसे बयां करना चाहती हैं।
ख्वाइश नहीं मेरे लिए तुम दुनिया से मुंह मोड़ लो,
पर मुझे भी अपनी
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments