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अब राम नाम का जप होगा,
अवरुद्ध बिना ये तप होगा।
होगी जयकार अयोध्या की,
आयेंगे फिर से महाबली।
सृजन करेगा ईश्वर है जो,
इस जग का परमेश्वर है जो।
हम तो बस तुच्छ आत्मा,
अपनी तो बस एक साधना।
राम धरा पे फिर आयेंगे,
भगवा हम फिर लहराएंगे।
हनुमंत का पौरुष जागेगा फिर,
रावण लंका में भागेगा फिर।,
होगी विजय श्री राम की,
बोलो जय - जय हनुमान की।
........ अपूर्ण ........
~ $hukl@mbuj..
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