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हमीं से सीखकर हमीं को समझाने लगे हैं,
वक्त के तो साहब यहाँ जलवे बड़े हैं..
कल जिन्हें ढंग से चलने का सलीका न था,
आज वही सबको यूँ ही गिराने में लगे हैं..
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हमीं से सीखकर हमीं को समझाने लगे हैं,
वक्त के तो साहब यहाँ जलवे बड़े हैं..
कल जिन्हें ढंग से चलने का सलीका न था,
आज वही सबको यूँ ही गिराने में लगे हैं..
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