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तारीफियां सोचें या तेरी खामियां सोचें
मिले कोई नया मसला तुमको ही क्यों सोचें
थे लापरवाह कितने हम
दिल खो दिया सोचें
मशगूल थे तुममें कभी
वो अपनी नादानियां सोचें
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तारीफियां सोचें या तेरी खामियां सोचें
मिले कोई नया मसला तुमको ही क्यों सोचें
थे लापरवाह कितने हम
दिल खो दिया सोचें
मशगूल थे तुममें कभी
वो अपनी नादानियां सोचें
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