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मिलते हैं जब भी प्रस्ताव प्रेम के,
यह विश्वास जताया जाता है।
हो जग के तुम श्रेष्ठतम प्राणी,
यह भान कराया जाता है।
तुमसा नहीं देखा कोई और गुणी,
ऐसा एहसास दिलाया जाता है।
पाकर तुमको मैं धन्य हो जाऊँ,
बारम्बार दोहराया जाता है।
जब घुल जाये प्रेम हृदय में,
अलग दृश्य दिखाया जाता है।
अस्तित्वहीन कहकर उसको,
फिर पीछा छुड़ाया जाता है।
हो न सकेगा ये मेल कभी,
कटु सत्य बताया जाता है।
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