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चाहा तो बहुत , ना सुलझा मन ।
यह जीवन ,एक पहेली है ।
जिसको सुलझा, कर उलझा मन ।
चाहे जितना , भी हो पाया ।
पर दूर ना, हो पायी उलझन ।
दुख आया ,तब भी था उलझा ।
सुख पाकर , भी ना सुलझा मन
यह जीवन ,एक पहेली है ।
जिसको सुलझा, कर उलझा मन ।
चाहे जितना , भी हो पाया ।
पर दूर ना, हो पायी उलझन ।
दुख आया ,तब भी था उलझा ।
सुख पाकर , भी ना सुलझा मन
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