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चाहा तो बहुत , ना सुलझा मन ।
यह जीवन ,एक पहेली है ।
जिसको सुलझा, कर उलझा मन ।
चाहे जितना , भी हो पाया ।
पर दूर ना, हो पायी उलझन ।
दुख आया ,तब भी था उलझा ।
सुख पाकर , भी ना सुलझा मन ।
होती है ,क्या कोई युक्ति ।
मिल जाए ,उलझन से मुक्ति ।
ईश्वर तू , उलझन दे सुलझा ।
भर दे ,संतुष्टि से हर मन ।
अपनी उलझन, में उलझा मन ।
चाहा तो बहुत ,ना सुलझा मन ।
यह जीवन ,एक पहेली है ।
जिसको सुलझा, कर उलझा मन ।
चाहे जितना , भी हो पाया ।
पर दूर ना, हो पायी उलझन ।
दुख आया ,तब भी था उलझा ।
सुख पाकर , भी ना सुलझा मन ।
होती है ,क्या कोई युक्ति ।
मिल जाए ,उलझन से मुक्ति ।
ईश्वर तू , उलझन दे सुलझा ।
भर दे ,संतुष्टि से हर मन ।
अपनी उलझन, में उलझा मन ।
चाहा तो बहुत ,ना सुलझा मन ।
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