Share0 Bookmarks 57112 Reads1 Likes
'
'ज़माना 'भाव' से 'तर्कों' की चौखट आ गया है अब'
नहीं लिखता है ख़त कोई किसी क़ागज़ पे स्याही से
हमें मोबाइल पे उंगली चलाना आ गया है अब।
मोहब्बत ‘हाय’ से चलकर ठहरती ‘बाय’ के दर पर
ज़माना "भाव" से "तर्कों" की चौखट आ गया है अब।
वो जज़्बातों में खो जाना वो पहरो
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments