वो पहरों तक मुलाकातें वो लड़ना फ़िर से मिल जाना.....'s image
Love PoetryPoetry1 min read

वो पहरों तक मुलाकातें वो लड़ना फ़िर से मिल जाना.....

Pradeep Seth सलिलPradeep Seth सलिल December 31, 2021
Share0 Bookmarks 53693 Reads1 Likes


'वो पहरों तक मुलाकातें वो लड़ना फ़िर से मिल जाना'


वो ख़्वाबों में विचरने की सुहानी याद आती है,

बसों की सीट से जन्मी कहानी याद आती है।


किसी दिल के समुन्दर में तू बन के मौज आती थी,

वो पुरनम मौज की हलचल, नूरानी याद आती है।


वो पहरों तक मुलाकातें वो लड़ना फ़िर से मिल जाना,

तेरे चेहरे की नटखट शादमानी याद आती है।


छिपाना ज़िल्द में ख़त का, किताबों को हवा देना,

बदलना फिर किताबों का, &nb

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts