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'यात्रा की इस बेला में'
यात्रा की इस बेला में,
तुम हिम्मत हार न जाना,
तट आने ही वाला है
तुम लंगर डाल न जाना।
संघर्ष की अंतिम घड़ियाँ
बन जाऐंगी फुलझड़ियाँ,
किरणें निश्चय काटेंगी
इस तम का ताना बाना।
ये अंधकार का डेरा
जिसने शिखरों को घेरा,
रवि पद जब इनको रौंदे
तुम गिरी पर पांव जमाना।
वह किरण प्रातः की फूटी
कालिमा धरा की छूटी,
लो निखरा सोना बिखरा
अब मृदुल गीत तुम गाना।
--प्रदीप सेठ सलिल
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