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'लो होली आ गई निगोड़ी चुपके से ही रंग लगाना'

Pradeep Seth सलिलPradeep Seth सलिल March 18, 2022
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लो होली आ गई निगोड़ी

चुपके से ही रंग लगाना।

×××


लो होली आ गई निगोड़ी

अबके कान्हा तुम न आए,

देखो जल्दी ही आ आना

चुपके से ही रंग लगाना,

-यदि रंगना ही है मुझको।


जग वाले कर रहे ढिंढोरा 

मुझपर जोबन बलिहारी है,

गांव गांव कैसे जा सकती

यह जोबन मुझपे भारी है,

-क्यों आया यह जोबन मुझको।


सखियाँ मार रहीं पिचकारी

संशय से, दुविधा से हारी,

भला सखि से कैसे कह दूँ

 उनको ‘बरसाने’ ले आ री,

-स्वम् आना रंग जाना मुझको।


दुखिया मन कैसे समझाऊँ

कौन ठौर मैं  विरहा गाऊँ,

न जानूँ तुम&nbs

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