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लो होली आ गई निगोड़ी
चुपके से ही रंग लगाना।
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लो होली आ गई निगोड़ी
अबके कान्हा तुम न आए,
देखो जल्दी ही आ आना
चुपके से ही रंग लगाना,
-यदि रंगना ही है मुझको।
जग वाले कर रहे ढिंढोरा
मुझपर जोबन बलिहारी है,
गांव गांव कैसे जा सकती
यह जोबन मुझपे भारी है,
-क्यों आया यह जोबन मुझको।
सखियाँ मार रहीं पिचकारी
संशय से, दुविधा से हारी,
भला सखि से कैसे कह दूँ
उनको ‘बरसाने’ ले आ री,
-स्वम् आना रंग जाना मुझको।
दुखिया मन कैसे समझाऊँ
कौन ठौर मैं विरहा गाऊँ,
न जानूँ तुम&nbs
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