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"किसने दीवान-ए-खास को मजमा बना दिया"

Pradeep Seth सलिलPradeep Seth सलिल May 23, 2022
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"किसने दीवाने खास को मजमा बना दिया

आईन की इबारतें नारों में ढाल कर."

×××


पत्ते वही दोहराए दरख्तों ने डाल पर

जंगल है सियासत का चलो देखभाल कर,


अरमान की भट्टी में न अंगार शेष हैं

हासिल नही कुछ भी बुझी आतिश उछाल कर,


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