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"जिल्द के अंदर भी--एक सुबह,"
-नया
-क्या है
-साल मुबारक
उसने तो संगे-ए-राह को साक़िब बना दिया,
जुगनु तराशा और फिर अंजुम बना दिया।
क्या हुआ तब्दील , पसीना तो वहीं है ,
लोगों ने किस हिसाब तमाशा बना दिया।
ये जश्न मुबारक के नया साल है तारी,
धुऐं में रोशनी क
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