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'जुगनू तराशा और फ़िर अंजुम बना दिया.....'

Pradeep Seth सलिलPradeep Seth सलिल January 3, 2022
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"जिल्द के अंदर भी--एक सुबह,"

-नया 

-क्या है

-साल मुबारक



उसने तो संगे-ए-राह को साक़िब बना दिया,

जुगनु तराशा और फिर अंजुम बना दिया।


क्या  हुआ तब्दील ,  पसीना तो वहीं है ,

लोगों ने किस हिसाब तमाशा बना दिया।


ये  जश्न मुबारक  के नया साल  है तारी,

धुऐं में रोशनी क

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