
Share0 Bookmarks 30 Reads0 Likes
"उस्ताद के ले जाती मशक़्क़त से वो पहरों"
-----'
पल्लू में मुँह छिपाके वो बरसों तलक रोई
तालीम में कमतर हूँ वो ये जानकर रोई,
उस्ताद के ले जाती मशक़्क़त से वो पहरों
जाना जो क़ामयाब हूँ जमकर के माँ रोई।
-प्रदीप सेठ सलिल
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments