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"गूंंज-कॉलेज के कोरिडोर की.....कुछ ऐसे भी"
तेरे होने की वज़ह दिल में मुझे न मालूम
पर ये जानूं के कभी तुझसे मैं बावस्ता था।
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मेरे सदके जो तुझे दिल में बैठा रखा है,
मैने ग़ैरों को भी इज्ज़त से नवाज़ा हरदम।
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मेरे ख़्वाब
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