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चौखट के वन्दनवार की कुम्लाही कली है
‘आईन’ के लफ़्ज़ो का नम इज़हार लाया हूँ।
मैं मान भी जाऊँ के तू है चारागर मेरा,
रहबर सिवा एक वोट के तुझको मैं क्या दूँगा,
हसरत तरक़्क़ी है तो फ़िर वो क्यों नही हासिल
बता मैं अगली पीढ़ी को सौगात क्या दूंगा।
---प्रदीप सेठ सलिल
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