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सामाजिक वेदना अब धीरे-धीरे कमजोर होकर एक चौराहे पर कहीं दुबक के बैठती जा रही है,
क्युकी आज का समाज पहले से ज्यादा सम्वेदनशील सोशल मीडिया पर व्यक्त करने में लग गया है,,
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सामाजिक वेदना अब धीरे-धीरे कमजोर होकर एक चौराहे पर कहीं दुबक के बैठती जा रही है,
क्युकी आज का समाज पहले से ज्यादा सम्वेदनशील सोशल मीडिया पर व्यक्त करने में लग गया है,,
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