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खामोशी बढ़ी वज़ह बन गयी है अब
दिल ही दिल मे हर बात कहने की ,
जुबां पर शब्द बहुत है कहने को
पर सुनने का कोई आदि नहीं ,
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खामोशी बढ़ी वज़ह बन गयी है अब
दिल ही दिल मे हर बात कहने की ,
जुबां पर शब्द बहुत है कहने को
पर सुनने का कोई आदि नहीं ,
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