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तू कौन है,
तेरे पहचान क्या?
एक जीत से आरम्भ,
तो एक हार से विश्राम क्या?
ये युद्ध है विश्वास का, तो डर क्यों है तुझे नाश का?
क्या बस मृत्य, क्या बस हार से तेरे अश्तित्व का है वास्ता?
तो फिर उठ - ठहर - शंखनाद कर,
तू सिंह सा दहाड़ कर,
धधक धधक के वार कर,
एक नए युग की शुरुवात कर।
और जो पूछते तू कौन है?
तेरी पहचान क्या?
तो तू एक वीर है,
पहचान तेरी वीरता।
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