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किस सोच में डूबा रहता है
जीवन से ऊबा रहता है
क्या आशाओं ने लूटा है
या नियति तुझसे रूठा है
सांत्वना में सुख मत ढूंढ यहाँ
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किस सोच में डूबा रहता है
जीवन से ऊबा रहता है
क्या आशाओं ने लूटा है
या नियति तुझसे रूठा है
सांत्वना में सुख मत ढूंढ यहाँ
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