आलम-ए-हस्ती's image
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जिगर में माद्दा है उनके तो

बेनूर सयारे शुआ-ए-रोशनी भी मोड़ देते हैं।


ऐसे भी मुसाफिर हैं जो थक जाते हैं कुछ ही दूर चल कर

किसी नखलिस्तान की आगोश में सो जाते हैं उनके हौसले

सेहरा फतह करने की ख़्वाहिश को,

किसी दरख़्त के साये में सुस्ताने छोड़ देते हैं।


मंजिल-ए-मकसूद की फितरत ही ऐसी है

काँटे बिछाना तो काम है उसका

दर्द से गुजरना ही आलम-ए-हस्ती है

आप डर कर रस्तों पे चलना छोड़ देते हैं।


खुद से वादा करते हैं पर निभाना नहीं आता

आप तो मौके-बे-मौके कसमें तोड़ देते हैं।



नादान हैं वो जो फेर लेते हैं मुँह मुश्किलों से

जान जाते हैं जो ज़िंदगी का सबब,

भागते नहीं, दर्द से रिश्ता जोड़ लेते हैं।

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© prabhat parimal

Meaning of difficult words:

सयारा = ग्रह; planet ( भौतिकी के नियम के अनुसार एक ग्रह अपने गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश को मोड़ देता है; according to laws of physics, the gravity of a planet bends the ray of light passing around it)

शुआ = किरण ; ray (शुआ-ए-रोशनी = प्रकाश की किरण; a ray of light)

नखलिस्तान = oasis (रेगिस्तान में सर-सब्ज जगह)

सेहरा=रेगिस्तान ; desert

मंजिल-ए-मकसूद= मंजिल पाने की तमन्ना

आलम-ए-हस्ती = आस्तित्व की अवस्था; state of existence


















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