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इक़्छओ का गला घोटा है,
जरुरतों के तामाचे मारे हैं,
सपनों को अपनी खामोशियों में छीपाये रखा है,
कुछ इस तरह 17 से 18 से 19 से 20 ये मेरे जीवन के अंक बढ़ते
जा रहे हैं।।
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इक़्छओ का गला घोटा है,
जरुरतों के तामाचे मारे हैं,
सपनों को अपनी खामोशियों में छीपाये रखा है,
कुछ इस तरह 17 से 18 से 19 से 20 ये मेरे जीवन के अंक बढ़ते
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