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इंतजार में स्वप्न, या स्वप्न का इंतजार,
ख्वाब हक़ीक़त से जुदा होते है,
पर कहीं न कही ये जीवन के परदे के पीछे छिपे सच है,
जिन्हे हम मानने से अक्सर इंकार कर देते हैं

अमूमन ख्वाबों की जागीरें कैद हो जाती हैं,
चंद हाथों में, चंद लम्हों में, चंद बातों में,
परंतु आजाद रहना मेरा हक है,
जीवन के हर लम्हे पर हक यकीनन मेरा ही तो होना चाहिए।

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