
Share0 Bookmarks 274 Reads0 Likes
इंसान खुदगर्ज हो भला क्या पाता है,
फकत अपने दिल का मर्ज छुपता है,
संग बीते लम्हे ही मयस्सर जान पड़ते है,
वफात ए वक्त अमूमन वो इस सच से रूबरू हो पाता है
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments