तालिबान's image
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इंसानियत की मृत्यु है या, प्रलय की है हाला, 

कालाग्नि में लोगों ने वतन, अपना जला डाला, 


समुह कहे, गुट कहे, संगठन का नाम दे, 

हज़ारों की मौत का किसको हम इल्ज़ाम दे,


आसमान से बरस्ती आग कितने घर जलायेगी,

स्वतंत्र स्त्री फिर से अब बुरकों में छुप जाएंगी,


हर लेंगे वो जन के सपने, पौरुष वो दिखलाएंगे,

जन सैलाब सा बन अब दूर देश को जाएंगे, 


हैवनीयत की जीत है मानव का घुट घुट मरना, 

ये तो वो नरभक्षी है जो अपनो को ही खाएंगे, 


खौफ का आगाज़ यही है घर से जो बेघर कर दे, 

गोले बारुदों से आशियाने सब तबाह कर दे, 


व्यापार हो स्त्री देह का अज्ञानता का वास जहां, 

धरती मां का लहू बहे, धर्म का हो विनाश जहां


उनकी मानों वो कहते हैं, हम सब भाई भाई है, 

बीच सड़क पर हत्या कर दे भाई नहीं कसाई है!


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