शूल's image
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इस जीवन के कुछ सदमे हैं,
वो सदमे ही बस अपने हैं,
चलती जाती जीवन धारा,
जो छूट गए वो अपने हैं

नासूर सा चुभता हर लम्हा,
ना नए के चाहत है दिल में,
एक ढर्रे पर चलती डग डग,
सब दर्शक हैं हम सपने है

सबकी चाहत की इच्छा को,
पत्थर सी थी मैं धूल बनी,
एक पल में गिर तेरे दिल से,
तेरे पैरो का शूल बनी

कितना दिल को तड़पाऊंगी,
कितना ही दिल को दुखाऊँगी,
तुझे चाहकर उसने की गलती,
कब तक एहसास कराऊंगी 

एक नाव सी पानी में बहती,
पटवार मेरी अब छूट गई,

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