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लिखना मिटाना सच या बहाना,
वक्त बेवक्त मेरे जहन में आना,
फिजाओं से तेरी गुफ्गू करना,
अक्सर सफर में नजदीक पाना
इससे ही मोहब्बत कहते है शायद
भरी भीड़ में तेरे अक्स का दिखना,
नफरत को तेरी गले से लगाना,
तू चुप है फिर भी सुनते तुम्हे हम,
तुम्हे न मिलेगा मुझ सा दीवाना
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