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खाली बेठै सोच रही थी क्या किया जाए
क्यों ना इतमिनान से जिंदगी से कुछ सवाल किये जाए,
ऐ जिन्दगी,
खुशियों की तन्हाई में, सूकून की हलचल में,
ख्वाहिशों के मेलों में, अन्याय की महफ़िल में,
शोर के अल्फाजों में, अंत के आगाजो में,
बारिशों की श्रृतु में, इच्छाओं की मृत्यु में,
खुशियो के नीरो में, शब्दों के तीरों में,
तू क्या सुनने कहती है, तू क्या समझने कहती है
सहर के उजालों में, शब के अंधेरों में
भीड़ के हर चेहरे में, सामाजिक पहरे में,
हर कली में फूलों में, राहों के शूलों में,
सांसों की किश्
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