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सरकारी बाबू झोला उठाए,
नित सवेरे कार्यालय आए,
अफसर खुद को समझ है बैठे,
चाय काफ़ी सुड सुड पी जाए
एक ही फाइल लिए है बैठे,
उसको टकाटक वो घूरे जाए,
साहब करा दो काम हमारा,
जनता खड़ी हल्ला मचाए
इंतजार के सिवा कर क्या सके है,
साहब ही अब तक ऑफिस न आए,
हस्ताक्षर बिना कैसे दे दूं ये कागज,
नियम कानून उन्हें समझाए
भला बुरा कह जनता है हारी,
कान पे कैसे जूं रेंग जाए,
बहाना बना के खाता समोसे,
काम से कितना जी वो चुराए
आखिर थक हार बैठी जनता,
सर्दी में हर जन सिकुड़ा जाए,
साहब का आने के पुष्टि करो सर,
इंतजार अब न होता सहाय
बाबू कहे, कुछ भी कह न सकेंगे,
उनसे भला कौन ये पूछ पाए,
ये सुन दुखी मन से बैठा एक बूढ़ा,
छोटे कदमों से वापस हो जाए
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