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रफ्तार पकड़ ले जिंदगी क्यूं हारी हारी बैठी है,
तेरी एक मुस्कान पे दुनिया देखो वारी वारी बैठी है
तेरे तेज से पिघले सूरज भी, बादल गरजे तेरे आने पर,
तू मीठी धार है झरने की क्यूं खारी खारी बैठी है
दुख की बदरा छट जायेगी, नई सुबह फिर आयेगी,
देख तेरी अगवानी में पूरी फुलवारी बैठी है,
तू मूरत है सुंदरता की,चपलता तुझ में कूट भरी,
जो देखे बस वो यही कहे कोमल सुकुमारी बैठी है
तू अपने भाग्य का जीती है, निर्भर नहीं किसी पर भी,
धोखो में जाया वक्त न कर, किस्मत ये तुम्हारी कहती है
रफ्तार पकड़ ले जिंदगी क्यूं हारी हारी बैठी है,
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