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अब जरा चर्चा बदली जाए,
उन्हे कोस कर भी क्या भली की जाए,
क्यूं नफरत या प्यार करें हम उनसे,
गैरो से मुनासिब सी दूरी की जाए
अहम उन्हे होगा वहम हमारा सही,
अब और न बातें उनसे जरूरी की जाए,
सुना है मशरूफ सी हो गई है जिंदगी उनकी,
उन्हे विदा कर खुद से मोहब्बत पूरी की जाए
असलियत दूरी से उजागर होती है अमूमन,
ऐसे लोगो की मगरूरी भला क्यों सही जाए,
बहुत सुना मैने तुझे दिन रात वक्त बेवक्त,
ना सुन कर तुझे अब गैरहुजुरी की जाए
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