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वक्त अपनी चाल बदल रहा है,
बूढ़ा पेड़ क्रमिक ढल रहा है,
पपड़ी तिनका तिनका कर झड़ गई है,
एक नन्हा पेड़ नई कोपल उगल रहा है
नियति का खेल देखो कितना निराला है,
हिम्मत है जब तक, तब तक बोलबाला है,
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