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लाजमी है मेरी जां तेरा रूठ जाना,
मुक्कमल सा लगता है मेरा मनाना
तू नखरो में लगती खुदा की कयामत,
वो खुद भूल जाता है पलके झुकाना
तेरे रूप का मैं हूं कायल कसम से,
ढूढता हूं हर पल दीदार ए बहाना
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