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नैनो में फिर से नमी सी है,
आज फिर तेरी कमी सी है
सांसों का काफिला चल तो रहा है,
तुझसे जुड़ी वो धड़कन थमी सी है
जो चाहे लगा ले आवाज फिर से,
लफ्ज़ है पर जुबान अब जमी सी है
क्यों उभरता डूबता सा रिश्ता बने हम,
जब मुक्कमल तेरी सर जमीन सी है
हम अमावस के चांद से ओझल ही खुश है,
लाखों तारों से तेरी ये झोली भरी सी है
तू खुश है कहीं दूर इस जहां में,
हमें भी कहां अब कोई कमी सी है
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