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लरजते से मेरे वो लब, तेरे गालों की लाली पे,
मन मोर सा थिरके, तेरी मीठी सी गाली पे,
हम चाहते है इश्क में अब तर बतर होना,
गोली कब चलाओगी,नजरों की दुनाली से
तुझे जब देखते है दांत मोती से चमक उठते,
होंठों से टपकते लफ्ज़ फूलों से महक उठते,
ना नजरे हम झुका पाते कोई लम्हा न जाया हो,
पलकें झपकते ओझल कहीं न तेरा साया हो
मदहोशी के आलम में मैं बादल सा थिरक जाती,
सही रास्ते पे चलती मैं तुझे देखे भटक जाती,
दिल में हैं बिखरते रंग कभी बजते पटाखे है,
भला अब क्या मुझे लेना तेरी होली दिवाली से
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