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क्या दूं मैं तुझे आज ओ मेरे रहबर,
आ पास जी भर के मोहब्बत दे दूं
यूं करते हैं हम शुक्र तोहफों से अदा,
तुझमें खोकर के जन्मों की तिजारत दे दूं
ये माना देने के अब हम नहीं काबिल,
मुझमें धड़के तू वादा ए मुसलसल दे दूं
भरा तुझमें कितना दर्द ओ गुबार बता,
बरस ले मुझ पर तुझे अनगिनत बादल दे दूं
क्यूं रूआसी सी लगती हैं ये आंखें तेरी,
आ नजरें मिला शोख का काजल दे दूं
क्यूं जुदा है गालों की वो लाली तुझसे,
रंगे रूखसार को जी भर के सुरखियत दे दूं
इक टुकड़े से ही तो बने हैं ये दिल अपने,<
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