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चुप रहो कुछ न कहो,जो गुब्बार है दिल में रखो,
वो सामने जो है खड़ा,कितना तेरा है ये बता
दुख पर तेरे ले सर झुका,पीछे तेरी खिल्ली उड़ा,
भय अपने खुद तक ही रखो,हिम्मत करो आगे बढ़ो
सब अपने ही तो पराए है,हम खुद ही अपने साए है,
तूफान आना लाजमी, क्या हुआ जो तुझ पर आए है
गिरना बिखरना है नियम, फिर से निखरने का हो दम,
विप्पति में धीरज धरो, तुम खुद का तब कंधा बनो
गर दौड़ तुमसे ना लगे,नन्हे से पग ही तुम धरो,
चुप रहो कुछ न कहो,जो गुब्बार है दिल में रखो
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