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दम घुटने लगा उन हरफों का,
सर झुकने लगा उन चर्चों का,
जिनमे बातें तेरी होती थी,
जिनमे यादें तेरी होती थी
मन ना माने तू बदल गया,
दुनिया के रंग में ढल यूं गया,
कहता खुद को दीवाना था,
हास विलास में फिसल गया
मैं तब वो थी जो आज है तू,
मैं सुर में थी बेसाज है तू,
क्यूं सुनती नही है चीखें भी,
मृत है या बदहवास है तू
कह दे तू सच में ऐसा है,
तेरा प्यार था जो वो भूलेखा है,
लम्हे लम्हे की तड़प न दे,
क्या धोखा है जो देखा है
इतने दुख में होने पर भी,
नफरत का बीज नही पड़ता,
तेरा डर है जीवन बदले न,
ना उठा जिसे कल फेंका है
कुछ घर तूने बर्बाद किए,
कुछ लोग मुक्कमल फिर न जिए,
तू नफरत के काबिल भी नही,
दुनिया ने सच ये देखा है
तुझ से बस इतना जाना है,
हर शक्श यह बेगाना है,
अपनी खुशियों की खातिर ही,
वो पागल है दीवाना है
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