Share0 Bookmarks 212832 Reads1 Likes
मैं तुझ संग जीना चाहती थी,
तेरे गालों को अमूमन अपने माथे की लाली से रंगना चाहती थी,
मैं चाहती थी तेरी आंखों को अपनी नजरों का स्याह रंग देना,
तेरे होंठों को अपने होंठों की सुर्खियत देना,
तेरे आलिंगन के माधुर्य में मदहोश होना,
तेरे आगोश में वक्त बेवक्त बेहोश होना
मैं बादल सा बन तुझ में बरसना चाहती थी,
तेरे होंठों के किरोशिए से बने अल्फाज सुनना चाहती थी,
तेरे दिल की धड़कन को खुद में महसूस करना चाहती थी,
तेरी बाहों में डूब मछली सा तैरना चाहती थी,
मैं अपने जिस्म को तेरी ओंट से ढकना चाहती थी,
तेरी नजरों में चांद सा टिमटिमाना चाहती थी,
मैं अपने गर्भ में तेरा सपना
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments