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जिंदगी और भी है, रास्ते और भी है,
हसरतें और भी है, राहतें और भी है
बस मैं नहीं गमगीन इस बेदर्द जहां में,
मुझ से अफसूर्दा परेशान और भी है।
जमाने पर बना ले छाप तू चाहे बड़प्पन की,
तेरे चेहरे पे छिपे खूंखार निशान और भी है।
एक तेरी जुबान ही कभी हम बोल पाते थे,
जुदा हुए तो ये जाना, हर्फ ए जुबान और भी है।
बहकते थे कभी हम तेरी उन नजरों के जादू से,
भटकने को मेरे हमदम मेहखाने और भी है
ये समझा था म
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