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आरंभ हो प्रारंभ हो,
नव चेतना सजंग हो
उलाहस चहू और हो,
खुशियों से सजती भोर हो
उदंड हो प्रचंड हो,
लक्ष्य तेरे अखंड हो
सूक्ष्मता का अंत हो,
विशालता अनंत हो
सजगता का वास हो,
मूर्खता का नाश हो
नई राह हो प्रवाह हो,
नवउदित न कोई आह हो
नव वर्ष ये खुशहाल हो,
मन में यही विश्वास हो
आरंभ हो प्रारंभ हो
नव चेतना सजंग हो
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